हो गया बड़ा खेल, India में उतार दिया Worlds First Backend Semiconductor Plant ! heydinu57@gmail.com, February 8, 2025February 8, 2025 भारत अब सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाने जा रहा है। टाटा ग्रुप ने गुजरात के सानंद में Worlds First Backend Semiconductor Plant लगाने की शुरुआत कर दी है। यह प्रोजेक्ट माइक्रोन टेक्नोलॉजी के लिए तैयार किया जा रहा है और 2025 के अंत तक यह पूरी तरह से ऑपरेशनल होने की उम्मीद है। इस प्लांट का विस्तार 50 एकड़ में होगा और इसे 91,000 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया जा रहा है। यह न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरे विश्व के लिए एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण कदम साबित होने वाला है। बैक एंड सेमीकंडक्टर यूनिट क्या है? जब सेमीकंडक्टर चिप्स बनते हैं, तो उन्हें कई चरणों से गुजरना पड़ता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे सही तरीके से काम कर रहे हैं। बैक एंड सेमीकंडक्टर यूनिट का मुख्य कार्य इन चिप्स की असेंबली, टेस्टिंग, मार्किंग और पैकेजिंग करना होता है। सानंद में बन रहा यह प्लांट माइक्रोन टेक्नोलॉजी के लिए एक एडवांस एटीएमपी यूनिट होगा, जहां सेमीकंडक्टर चिप्स की पूरी तरह से टेस्टिंग और पैकेजिंग की जाएगी। इस कदम से भारत को सेमीकंडक्टर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने में भी मदद मिलेगी, क्योंकि इससे भारत अब तक विदेशी कंपनियों पर निर्भर नहीं रहेगा। क्यों है यह प्रोजेक्ट महत्वपूर्ण? यह प्रोजेक्ट कई कारणों से महत्वपूर्ण है। सबसे पहले, यह दुनिया का सबसे बड़ा बैक एंड सेमीकंडक्टर प्लांट होगा, जो 50 एकड़ में फैला होगा और माइक्रोन के लिए असेंबली, टेस्टिंग और पैकेजिंग करेगा। यह प्लांट 2025 के अंत तक तैयार हो जाएगा और इससे 10,000 से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलेगा। इसके अलावा, भारत में सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा और भारत को सेमीकंडक्टर चिप्स के टेस्टिंग और असेंबली के लिए अब विदेशों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। यह भारत के लिए एक बड़ा आर्थिक लाभ होगा, क्योंकि अब भारत सेमीकंडक्टर चिप्स का निर्यात अमेरिका, जापान और यूरोप जैसे देशों में कर सकेगा। सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में भारत का बढ़ता कदम भारत में पिछले कुछ सालों से सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग को लेकर काफी तेजी आई है। भारतीय सरकार ने इस क्षेत्र में निवेश बढ़ाने के लिए 10 बिलियन डॉलर का सेमीकंडक्टर इन्वेस्टमेंट प्लान लॉन्च किया था, जिससे कंपनियों को भारत में सेमीकंडक्टर निर्माण के लिए प्रोत्साहन मिला। टाटा ग्रुप के अलावा, कई अन्य कंपनियां भी भारत में इस क्षेत्र में निवेश कर रही हैं। जैसे कि टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स पहले से ही बेंगलुरु में अपने सेमीकंडक्टर आर एंड डी सेंटर से हाईटेक चिप्स का निर्यात कर रहा है, जो अमेरिका, जापान और यूरोप में भेजे जा रहे हैं। भारत के सेमीकंडक्टर क्षेत्र में निवेश इसके अलावा, टाटा ग्रुप ने असम में एक ओ 80 यूनिट की भी घोषणा की है, जहां विभिन्न कंपनियों के सेमीकंडक्टर्स की असेंबली और टेस्टिंग की जाएगी। भारतीय सरकार और टाटा ग्रुप दोनों मिलकर सेमीकंडक्टर उद्योग को मजबूत करने के लिए काम कर रहे हैं। सरकार ने हाल ही में ₹19,500 करोड़ का बजट इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री के लिए आवंटित किया है, जिससे इस क्षेत्र में और भी तेजी आएगी। इसके अलावा, इजराइली कंपनी टावर सेमीकंडक्टर महाराष्ट्र में एक नया सेमीकंडक्टर प्लांट स्थापित करने जा रही है और कंपनियां जैसे कन और वेदांता भी भारत में सेमीकंडक्टर निर्माण के लिए निवेश कर रही हैं। टाटा ग्रुप की भविष्य की योजनाएं टाटा ग्रुप ने पहले ही 28 एनएम चिप्स का निर्माण शुरू कर दिया है और अब 14 एनएम चिप्स पर भी काम चल रहा है। भविष्य में, टाटा की योजना 7 एनएम और 5 एनएम चिप्स बनाने की है। इन चिप्स के निर्माण से भारत सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग के ग्लोबल टॉप प्लेयर के रूप में उभर सकता है। यह प्रोजेक्ट न केवल भारत के सेमीकंडक्टर उद्योग को मजबूती देगा, बल्कि देश को सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। टाटा ग्रुप का यह कदम भारत को वैश्विक सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में प्रमुख स्थान दिलाने में सक्षम हो सकता है। अब सवाल यह है कि क्या यह प्रोजेक्ट भारत को सेमीकंडक्टर सेक्टर में ग्लोबल लीडर बना पाएगा? आपकी क्या राय है? क्या टाटा ग्रुप भारत को सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में आत्मनिर्भर बना सकता है? कृपया अपनी राय कमेंट में जरूर साझा करें। Technology Backend Semiconductor PlantWorlds First Backend Semiconductor Plant